जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने सवाल किया कि जब भगवान राम सर्वव्यापी हैं और पूरी दुनिया के हैं तो उनका मंदिर अयोध्या में ही क्यों बनना चाहिए? न राम को वोटों की जरूरत हैं और न ही खुदा को। चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा जाना चाहिए। फारूक ने यह बात सोमवार को कांग्रेस नेता मनीष तिवारी की किताब 'फेबल्स ऑफ फ्रैक्चर्ड टाइम्स' के विमोचन के दौरान कही।
फारूक के बयान पर तुरंत जदयू नेता पवन वर्मा ने कहा, "राम मंदिर अयोध्या में क्यों नहीं बन सकता? हिंदू राम मंदिर अयोध्या में इसलिए बनाना चाहते हैं क्योंकि वहां राम का जन्म हुआ था। सवाल यह है कि मंदिर कैसे बनेगा- ताकत के इस्तेमाल या हिंसा या आपसी सहमति या फिर अदालती आदेश से।'' हालांकि अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि उन्हें मंदिर निर्माण पर कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन इसमें सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी मायने रखेगा। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने कहा था कि जनवरी के पहले हफ्ते में उपयुक्त बेंच राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मसले की सुनवाई का शेड्यूल तय करेगी।
'बिहार में सीता का मंदिर क्यों नहीं बना रहे?'
फारूक ने यह सवाल भी किया कि बिहार के सीतामढ़ी में सीता का मंदिर क्यों नहीं बनाया जा रहा? क्या आप लोग सुप्रीम कोर्ट को भी ठंडे पानी में रखना चाहते हैं? क्या देश में सही मायने में लोकतंत्र है? सभी मुस्लिम कह चुके हैं कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे।
'प्रधानमंत्री की तरह बर्ताव करें मोदी'
फारूक के मुताबिक- "ये किस तरह की बातें की जा रही हैं, मेरी मां को गाली दी, मेरे बाप को गाली दी। क्या ये प्रधानमंत्री के स्तर की बातें हैं? मैंने कभी भी अपनी मां और पिता को भाषणों में शामिल नहीं किया। देश के प्रधानमंत्री को बड़े स्तर पर सोचना चाहिए।''
'राज्यपाल का पद संवैधानिक'
फारूक ने कहा कि राज्यपाल एक संवैधानिक पद है, लिहाजा उन्हें केंद्र के हाथ की कठपुतली नहीं होना चाहिए। अगर राज्यपाल यह कहते हैं कि उनके पास फैक्स मशीन नहीं है तो वे कम्युनिकेशन कैसे करते हैं? क्या हमें आसमान से भगवान आकर बताएंगे। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग कर दी थी। महबूबा मुफ्ती ने दावा किया था कि पीडीपी ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस की मदद से सरकार बनाने का पत्र राज्यपाल को भेजा था।
'कश्मीर के लोग ही आतंकियों के बारे में सूचनाएं दे रहे'
कश्मीर के लोगों के कारण ही आतंकी मारे जा रहे हैं। कश्मीर को भारत से अलग करने में पाकिस्तान को कभी कामयाबी नहीं मिलेगी। हमें इंटेलिजेंस एजेंसियों के चलते आतंकियों को मारने में कामयाबी नहीं मिल रही बल्कि कश्मीर का आम आदमी आतंकियों से आजिज आ चुका है। लोग ही पुलिस को सूचनाएं दे रहे हैं।
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